शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

देवमणि पांडेय की ग़ज़ल : महकते ख़्वाब




 देवमणि पांडेय की ग़ज़ल

महकते ख़्वाब खयालों को रोशनी मिलती
हमें तलाश थी जिसकी वो ज़िंदगी मिलती

जिधर भी देखिए दामन हैं तर ब तर सबके
कभी तो दर्द की शिद्दत में कुछ कमी मिलती

बहार आई मगर ढूँढती रहीं आँखें
कोई तो शाख़ चमन में हरी-भरी मिलती

बढ़ी जो धूप सफ़र में तो ये दुआ मांगी
कहीं तो छाँव दरख़्तों की कुछ घनी मिलती

उगाते हम भी शजर एक दिन मुहब्बत का
तुम्हारे दिल की ज़मीं में अगर नमी मिलती


परिवार पुरस्कार समारोह 2014 में कवि-संचालक देवमणि पांडेय, कवि सुंदरचंद ठाकुर, कवि नंदलाल पाठक, कवि विश्वनाथ सचदेव, मराठी के लोककवि वसंत आबाजी डहाके, परिवार पुरस्कार से सम्मानित कवि ऋतुराज, परिवार संस्था के अध्यक्ष रामस्वरूप गाडिया, वरिष्ठ कवि विष्णु खरे, और वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल (मुम्बई 4 -01-2014)

देवमणि पाण्डेय : 98210-82126 


 

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